जन्म – 20 मई 1900
जन्म स्थान – कौसानी (उत्तराखंड)
पिता – गंगा दत्त पंत
मृत्यु – 29 दिसम्बर 1977
जग पीड़ित है अति दुःख से
जग पीड़ित रे अति – सुख से
मानव जग में बँट जाए
दुःख सुख से औ सुख दुःख से
प्रकृति के प्रेमी एवं प्रकृति के सुकुमार कवि ने नाम से विख्यात सुमित्रा नंदन पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ था इनके जन्म के कुछ ही घंटे के उपरान्त इनकी माता का देहांत हो गया ! जिसकी वहज से इनके पालन पोषण का जिम्मा इनकी दादी पर आ गया और इनकी दादी ने इनका पालन –पोषण किया ! ये पं० गंगा पंत की आठवीं संतान थे ! 1990 में इन्होनें प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए गर्वनमेंट हाईस्कूल अल्मोड़ा में अपना प्रवेश ले लिये ! इनके बचपन का नाम गोसाई दत्त था किन्तु अल्मोड़ा में पढाई के दौरान इन्होनें अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया ! यहाँ से ये अपने मझले भाई के साथ काशी (वाराणसी) चले आते है और क्वींस कालेज में अपना प्रवेश लेकर अध्ययन करने लगते है, यहाँ से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत ये इलाहाबाद के म्योर कालेज में चले जाते है, उसी दौरान ये गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन से काफी प्रेरित होते है जिस कारण से ये महाविद्यालय की अपनी पढाई को अधुरा छोड़कर गांधी जी के इस आन्दोलन में कूद पड़ते है, और अंग्रेजी विद्यालयों महाविद्यालयों, न्यायालयों एवं सरकारी कार्यालयों के बहिष्कार पर जुट गए ! और स्वाध्याय के द्वारा अपने घर पर ही हिंदी, संस्कृत और बंगला साहित्य का अध्ययन किया, इलाहाबाद में रहने के दौरान ही इनमें काव्य लेखन की अलख जगी और यहीं से इन्होनें लेखन की अलख जगी और यहीं से इन्होनें लेखन का श्री गणेश कर दिया !
कुछ समय के उपरांत इनके परिवार के ऊपर बहुत बड़ा आर्थिक संकट आ गया जिससे जूझते हुए इनके पिता की मृत्यु हो गयी, और इस आर्थिक संकट के कारण इनको अपना मकान और पूर्वजों की जमींन तक बेचना पड जाती है ! प्रकृति की वादियों में जन्म होने और पहाड़ी क्षेत्र में रहने के कारण प्रकृति के प्रति इनका प्रेम बहुत ही प्रगाढ होता चला गया !
इनके द्वारा रचित प्रत्येक रचना प्रकृति से जुडी हुयी अथवा प्रकृति का गुणगान करती हुयी है ! सन 1938 ई० में प्रगतिशील मासिक पत्रिका “रूपाभ” का संपादन किया ‘इनकी गणना हिन्दी के छायावादी कवियों में बहुत विस्तृत रूप में की जाती है, ये जीवन पर्यत साहित्य रचना की दिशा में लगे रहे, 29 दिसम्बर 1977 ई० को प्रकृति का यह रचनाकार परलोक सिधार गया !
साहित्यिक परिचय –
इनकी काव्य रचना प्रगतिवाद के निश्चित व प्रखर स्वरों की घोषणा करती है, पंत जी अपने रचनाओं के माध्यम से एक विचारक, दार्शनिक और मानवतावादी रचनाकार के रूप में सामने आते है ! इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कविता “परिवर्तन” है !
रचनायें-
ग्रंथि
गुंजन
युगांत
ग्राम्या
स्वर्ण किरण
स्वर्णधूलि
कला और बूढा चाँद
चिंदबरा
सत्य.
काम
परिवर्तन
लोकायतन आदि !
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